यह कैलाश मानसरोवर का एक सुन्दर दृश्य है जो की कभी उत्तराखंड के कुमॉऊ क्षेत्र का अभिन्न अंग था लेकिन आज हमें यहाँ पहुँचने के लिए चीन का वीज़ा लेना पड़ता है।
सावधान सावधान ......भारत में उत्तराखंड की चीन की सीमा में एक बहुत बड़ी प्लानिंग चल रही है। चीन पूरे ग्रेटर हिमालय को अपना हिस्सा मनता है जिसमे हिन्दुओं के पवित्र धाम "गंगोत्री ,यमनोत्री एवं बद्रीनाथ, केदारनाथ" शामिल हैं पहले भी हिंदी चीनी भाई भाई बोलकर चीन ने उत्तराखंड के कुमॉऊ क्षेत्र में स्थित हिन्दुओं के पवित्र धर्मस्थल "कैलाश मानसरोवर" पर अपना कब्ज़ा कर लिया था और हमारी सरकार ऑंखें बंद कर यह नज़ारा देखती रह गई। उत्तराखंड पर अगर चीन का कब्ज़ा हो गया तो यहाँ पर बने बांधों को ध्वस्त कर वह दिल्ली तक के हिस्से को जलमग्न कर एक बहुत बड़ी तबाही मचा सकता है जो की दुनिया में सबसे बड़ी तबाही होगी। चीन ने अपने बोर्डर तक सड़क ही नहीं अपितु हिमालयी उच्च एवं कठिन पहाड़ी श्रृंखलाओं में अपनी आर्मी के लिए एक बहुत बड़ी रेलवे लाइन तक बिछाई है जिससे वह बहुत ही भारी भारी युद्धपोत हिमालय के क्षेत्र में पहुँचा सके लेकिन भारत सरकार ने हिमालय के क्षेत्र में अपनी सीमाओं को अभी तक सड़कों से भी नहीं जोड़ सका है।
सावधान सावधान ......भारत में उत्तराखंड की चीन की सीमा में एक बहुत बड़ी प्लानिंग चल रही है। चीन पूरे ग्रेटर हिमालय को अपना हिस्सा मनता है जिसमे हिन्दुओं के पवित्र धाम "गंगोत्री ,यमनोत्री एवं बद्रीनाथ, केदारनाथ" शामिल हैं पहले भी हिंदी चीनी भाई भाई बोलकर चीन ने उत्तराखंड के कुमॉऊ क्षेत्र में स्थित हिन्दुओं के पवित्र धर्मस्थल "कैलाश मानसरोवर" पर अपना कब्ज़ा कर लिया था और हमारी सरकार ऑंखें बंद कर यह नज़ारा देखती रह गई। उत्तराखंड पर अगर चीन का कब्ज़ा हो गया तो यहाँ पर बने बांधों को ध्वस्त कर वह दिल्ली तक के हिस्से को जलमग्न कर एक बहुत बड़ी तबाही मचा सकता है जो की दुनिया में सबसे बड़ी तबाही होगी। चीन ने अपने बोर्डर तक सड़क ही नहीं अपितु हिमालयी उच्च एवं कठिन पहाड़ी श्रृंखलाओं में अपनी आर्मी के लिए एक बहुत बड़ी रेलवे लाइन तक बिछाई है जिससे वह बहुत ही भारी भारी युद्धपोत हिमालय के क्षेत्र में पहुँचा सके लेकिन भारत सरकार ने हिमालय के क्षेत्र में अपनी सीमाओं को अभी तक सड़कों से भी नहीं जोड़ सका है।
No comments:
Post a Comment